PM-KUSUM योजना 2026: पात्रता, आवेदन प्रक्रिया और प्लांट पर 60% सब्सिडी कैसे पाएं?

भारत में खेती की सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक सिंचाई के लिए भरोसेमंद और किफायती बिजली की उपलब्धता है। डीजल की बढ़ती कीमतें और बिजली कटौती किसानों के लिए उत्पादन लागत बढ़ा देती हैं। इसी समस्या का समाधान देने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM – Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha Evam Utthaan Mahabhiyan) की शुरुआत की।

इस योजना का उद्देश्य किसानों को सोलर पंप पर सब्सिडी, निरंतर बिजली, और नवकरणीय ऊर्जा से अतिरिक्त आय जैसे लाभ प्रदान करना है। PM-KUSUM योजना किसानों को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाती है और खेती को अधिक लाभदायक बनाने में मदद करती है। इस आर्टिकल में हम आपको PM-KUSUM योजना की पूरी जानकारी के साथ-साथ आवेदन प्रक्रिया भी आसान तरीके से बताएंगे, ताकि आप बिना किसी परेशानी के इस योजना का लाभ ले सकें।

PM-KUSUM योजना क्या है?

पीएम-कुसुम (PM-KUSUM – Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha Evam Utthaan Mahabhiyan) भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक प्रमुख Renewable Energy योजना है, जिसका उद्देश्य किसानों को सौर ऊर्जा से सिंचाई और अतिरिक्त आय प्रदान करना है।

योजना के मुख्य उद्देश्य

PM-KUSUM योजना के मुख्य उद्देश्य (Main Objectives of PM-KUSUM Yojana):

  • ➡️किसानों को सस्ती, विश्वसनीय और स्वच्छ सौर ऊर्जा उपलब्ध कराना।
  • ➡️कृषि क्षेत्र में डीज़ल और पारंपरिक बिजली पर निर्भरता कम करना।
  • ➡️किसानों की अतिरिक्त आय का स्रोत बनाना (बिजली बेचकर आय बढ़ाना)।
  • ➡️डीज़ल पंपों की जगह सोलर पंपों को बढ़ावा देना।
  • ➡️बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) पर वित्तीय भार कम करना।
  • ➡️ग्रामीण क्षेत्रों में ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाना।
  • ➡️नवीकरणीय ऊर्जा को प्रोत्साहित कर पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना।
  • ➡️देश को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना।
योजना के प्रमुख घटक

PM-KUSUM योजना के 3 प्रमुख घटक हैं। कुछ घटक में सरकार Subsidy प्रदान करती हैं और घटक किसान को स्वय के मूल्य से स्थापित करने पड़ते हैं।

1. Component-A: सोलर पावर प्लांट (10 kW–2 MW)

➡️किसान अपनी बंजर/अनुपयोगी भूमि पर 0.5 MW से 2 MW तक के सोलर पावर प्लांट लगाकर बिजली बेच सकते हैं।

➡️सब्सिडी/वित्तीय संरचना:

  • इस घटक के लिए सरकार सब्सिडी नहीं देती
  • किसान/डेवलपर स्वयं निवेश करते हैं।
  • उत्पादित बिजली DISCOM को 25 वर्ष तक खरीदनी होती है (Power Purchase Agreement – PPA)
  • किसान को नियमित आय (लगभग ₹60,000 – ₹1,00,000 प्रति वर्ष प्रति एकड़) मिल सकती है।

2. Component-B: Standalone Solar Pumps

➡️किसानों को ऑफ-ग्रिड (Stand-alone) सोलर सिंचाई पंप दिए जाते हैं। इसमें डीजल पंप को हटाकर 1 HP से 10 HP तक के सोलर पंप लगाए जाते हैं।

➡️सब्सिडी संरचना:

  • केंद्र सरकार: 30% सब्सिडी
  • राज्य सरकार: 30% सब्सिडी
  • किसान का योगदान: 40%
    • किसान 30% बैंक ऋण भी ले सकते हैं।
    • अगर किसान ऋण लेता हैं तो, किसान को केवल 10% राशि देनी होती है।

3. Component-C: ग्रिड-Connected सोलर पंप (15 लाख पंप)

➡️मौजूदा बिजली संचालित पंपों को सोलर पंप + ग्रिड-कनेक्टेड सिस्टम में बदला जाता है। किसान अतिरिक्त बिजली ग्रिड को बेच सकते हैं।

➡️सब्सिडी संरचना:

  • केंद्र सरकार: 30% सब्सिडी
  • राज्य सरकार: 30% सब्सिडी
  • किसान का योगदान: 40%
    • किसान 30% बैंक ऋण भी ले सकते हैं।
    • अगर किसान ऋण लेता हैं तो, किसान को केवल 10% राशि देनी होती है।
योजना के लिए पात्रता

योजना का लाभ लेने के लिए सरकार की और से पात्रता (Eligibily) स्वरूप हैं। PM-KUSUM योजना के लिए पात्रता:

  1. ➡️किसान श्रेणी:
    • सभी साधारण किसान
    • व्यक्तिगत किसान
    • कृषि उत्पादक संगठन (FPOs)
    • पंचायत, किसान समूह, सहकारी समितियाँ
    • Self-help groups (SHG)
  2. ➡️भूमि संबंधी पात्रता:
    • सोलर प्लांट लगाने के लिए अपनी भूमि या लीज पर ली गई भूमि
    • सोलर पंप लगाने के लिए किसान के पास कृषि भूमि होना आवश्यक।
  3. ➡️बिजली कनेक्शन (Component-B के लिए):
    • ग्रिड से जुड़े कृषि पंप वाले किसान।
    • जिनका कृषि पंप डीजल आधारित है, वे भी पात्र हैं (सोलर पंप में बदलने के लिए)।
  4. ➡️वित्तीय पात्रता:
    • किसान को अपनी हिस्सेदारी का कुछ प्रतिशत योगदान करने की क्षमता।
    • बाकी राशि सरकार व बैंक द्वारा सब्सिडी/ऋण के रूप में उपलब्ध होती है।
  5. ➡️तकनीकी पात्रता:
    • सोलर प्लांट और पंप मानक गुणवत्ता (MNRE certified) के होने चाहिए।
जरूरी दस्तावेज़ (Documents Required)
  1. पहचान संबंधी दस्तावेज़:
    • आधार कार्ड
    • पैन कार्ड
    • वोटर आईडी (वैकल्पिक)।
  2. भूमि संबंधी दस्तावेज़:
    • जमीन का 7/12, खसरा-खतौनी / RTC
    • भूमि की स्वामित्व प्रमाण पत्र
    • यदि भूमि लीज़ पर है → लीज़ एग्रीमेंट (रजिस्टर्ड)।
  3. बैंक संबंधी दस्तावेज़:
    • बैंक पासबुक
    • बैंक खाता संख्या व IFSC कोड
    • कैंसल चेक।
  4. कृषि/कनेक्शन दस्तावेज़ (Component-B एवं C के लिए):
    • कृषि पंप का बिजली कनेक्शन नंबर
    • कृषि पंप की HP क्षमता
    • DISCOM द्वारा जारी प्रमाण पत्र (यदि आवश्यक हो)।
  5. फोटो व संचार विवरण
    • पासपोर्ट साइज फोटो
    • मोबाइल नंबर
    • ईमेल ID (यदि उपलब्ध)।
  6. अन्य दस्तावेज़ (जरूरत के अनुसार)
    • प्रोजेक्ट रिपोर्ट (Component-A – बड़े सोलर प्लांट के लिए)।
    • सहकारी समिति/FPO/SHG का पंजीकरण प्रमाणपत्र (यदि समूह आवेदन करता है)।
    • आधार लिंक बैंक खाता।
    • किसान का स्वयं-घोषणा पत्र (Declaration)।
योजना में आवेदन कैसे करें?

PM-KUSUM योजना में आवेदन करने के लिए आसान और सही प्रक्रिया:

  1. ➡️आधिकारिक पोर्टल पर जाएँ:
    • PM-KUSUM योजना के लिए आवेदन राज्य सरकार के Renewable Energy Department / DISCOM की वेबसाइट पर किया गया है।
    • राष्ट्रीय स्तर पर एकल पोर्टल अभी नहीं—हर राज्य का अलग पोर्टल स्थापित किया गया हैं।
      • ✅महाराष्ट्र – MahaURJA Portal।
      • ✅राजस्थान – Rajasthan SSO / RRECL
      • ✅यूपी – UP New & Renewable Energy (UPNEDA)
      • ✅MP – MP Urja Vikas Nigam
      • ✅बिहार – BREDA
  2. ➡️नया पंजीकरण (New Registration):
    • आधिकारिक वेबसाइट पर “PM-KUSUM / Solar Pump / Solar Plant” विकल्प चुनें।
    • Apply / Registration” पर क्लिक करें।
    • मोबाइल नंबर, नाम, पता, जिला, तहसील आदि विवरण भरें।
    • OTP सत्यापन करें।
  3. ➡️योजना का Component चुनें:
    • Component-A: 0.5–2 MW सोलर प्लांट।
    • Component-B: Standalone Solar Pump।
    • Component-C: Grid Connected Solar Pump।
  4. ➡️दस्तावेज़ अपलोड करें (Upload Documents):
    • आधार कार्ड
    • जमीन की नकल/खसरा
    • बैंक पासबुक
    • पासपोर्ट साइज़ फोटो
    • बिजली कनेक्शन विवरण (C के लिए)
    • लीज़ एग्रीमेंट (यदि भूमि लीज़ पर है)।
  5. ➡️आवेदन सबमिट करें:
    • सभी जानकारी जांचें।
    • Submit” क्लिक करें।
    • आवेदन संख्या (Application ID) को नोट करें।
  6. ➡️आवेदन की जाँच (Verification):
    • विभाग/डिस्कॉम दस्तावेज़ों की जांच करता है।
    • भूमि सत्यापन/कनेक्शन सत्यापन किया जाता है।
    • स्वीकृति (Approval Letter) जारी किया जाता है।
  7. ➡️सब्सिडी और भुगतान प्रक्रिया:
    • स्वीकृति मिलने के बाद किसान को अपनी हिस्सेदारी की राशि जमा करनी होती है।
    • सरकार और DISCOM की सब्सिडी स्वतः समायोजित की जाती है।
  8. ➡️स्थापना (Installation):
    • अधिकृत वेंडर / EPC कंपनी सोलर सिस्टम इंस्टॉल करती है।
    • सिस्टम का परीक्षण (Inspection) किया जाता है।
    • अंत में किसान को संचालन शुरू करने की अनुमति दी जाती है।
सामान्य गलतियाँ और समाधान

PM-KUSUM योजना में आवेदन करते समय किसानों द्वारा की जाने वाली सामान्य गलतियाँ और उनके समाधान:

सामान्य गलती

समस्या का कारण

सही समाधान

गलत या मिलान न होने वाले दस्तावेज़ अपलोड करना

आवेदन वेरिफिकेशन रिजेक्ट हो जाता है

दस्तावेज़ पहले से चेक करें और स्पष्ट PDF/फोटो अपलोड करें

आधार कार्ड और बैंक खाता लिंक न होना

सब्सिडी/भुगतान अटक जाता है

आवेदन से पहले आधार को बैंक से लिंक कराएँ

जमीन के दस्तावेज़ अधूरे या अपडेट न होना

भूमि सत्यापन फेल हो जाता है

7/12, खतौनी, खसरा नकल अपडेट करवाकर अपलोड करें

गलत मोबाइल नंबर देना

OTP और अपडेट नहीं मिलते

अपना सक्रिय मोबाइल नंबर ही दर्ज करें

Component A/B/C गलत चुन लेना

आवेदन गलत श्रेणी में चला जाता है

योजना के हर Component को समझकर ही चयन करें

अज्ञात (Unregistered) वेंडर से संपर्क करना

धोखाधड़ी या खराब सिस्टम लग सकता है

केवल DISCOM/MNRE द्वारा अधिकृत वेंडर चुनें

आवेदन में अधूरी जानकारी भरना

आवेदन Reject या Pending हो जाता है

सबमिट करने से पहले पूरी जानकारी की जाँच करें

बैंक खाते में न्यूनतम बैलेंस न होना

किसान की हिस्सेदारी जमा नहीं हो पाती

बैंक खाते में पर्याप्त राशि रखें

गलत सर्वे नंबर/भूमि लोकेशन डालना

भूमि सत्यापन में समस्या

जमीन का सही सर्वे नंबर, गांव/तहसील दर्ज करें

आवेदन संख्या (Application ID) सुरक्षित न रखना

स्टेटस चेक नहीं कर पाते

Application ID को स्क्रीनशॉट या नोट कर लें

फर्जी कॉल/एजेंट पर भरोसा करना

ठगी का खतरा

केवल सरकारी पोर्टल और अधिकृत एजेंसी से संपर्क करें

निष्कर्ष (Conclusion)

PM-KUSUM योजना किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभदायक और पर्यावरण के लिए सुरक्षित योजना है। इस योजना से किसानों को सोलर पंप पर भारी सब्सिडी, मुफ्त सिंचाई, और अतिरिक्त बिजली बेचकर आय जैसी सुविधाएँ मिलती हैं। इससे न केवल खेती की लागत कम होती है, बल्कि डीजल पर निर्भरता भी खत्म होती है, जिससे पर्यावरण को भी लाभ होता है।

यदि किसान सही दस्तावेज़, सटीक जानकारी और अधिकृत पोर्टल का उपयोग करते हुए आवेदन करते हैं, तो योजना का लाभ आसानी से मिल सकता है। कुल मिलाकर, यह योजना किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए बेहद उपयोगी है।

अस्वीकरण (Disclaimer)

इस लेख में दी गई PM-KUSUM योजना से संबंधित जानकारी विभिन्न सरकारी पोर्टलों, विभागीय दिशानिर्देशों और उपलब्ध सार्वजनिक स्रोतों पर आधारित है। योजना में समय–समय पर सरकार द्वारा बदलाव किए जा सकते हैं, इसलिए आवेदन करने से पहले संबंधित राज्य सरकार की आधिकारिक वेबसाइट या नवीकरणीय ऊर्जा विभाग से नवीनतम जानकारी अवश्य जांचें।

Infocroft.com किसी भी प्रकार की सरकारी संस्था, विभाग या वेंडर से जुड़े नहीं हैं। यह कंटेंट केवल जानकारी प्रदान करने के उद्देश्य से तैयार किया गया है। किसी भी प्रकार का निर्णय लेने से पहले आधिकारिक स्रोतों से पुष्टि करना आवश्यक है।

FAQs
  1. PM-KUSUM योजना के तहत कितनी सब्सिडी मिलती है?

    केंद्र और राज्य सरकार मिलकर 60% सब्सिडी देती हैं।

  2. क्या किरायेदार किसान आवेदन कर सकते हैं?

    कुछ राज्यों में हाँ, पर राज्य की नीति पर निर्भर है।

  3. सोलर पंप की क्षमता क्या-क्या उपलब्ध है?

    1 HP से 10 HP तक सोलर पंप उपलब्ध हैं।

  4. क्या अतिरिक्त बिजली बेचकर आय हो सकती है?

    हाँ, Component-A और Component-C में किसान ग्रिड को बिजली बेचकर कमाई कर सकते हैं।

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